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पुस्तकं वनिता वित्तं.....

पुस्तकं वनिता वित्तं परहस्तगतं गतम् ।
यदि चेत्पुनरायाति नष्टं भ्रष्टं च खण्डितम् ॥

किताब, वनिता, और धन , पराये व्यक्ति के पास जाने पर वापस लौट कर नहीं आते; और यदि आ भी जाये  तो वे नष्ट, भ्रष्ट तथा खंडित होकर आते हैं ।

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