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काव्य शास्त्र विनोदेन......

काव्य शास्त्र विनोदेन, कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन च मूर्खाणां, निद्रयाकलहेन वा। ।

अर्थात् बुद्‌धिमान लोग अपना समय काव्य-शास्त्र अर्थात् पठन-पाठन में व्यतीत करते हैं वहीं मूर्ख लोगों का समय व्यसन, निद्रा अथवा कलह में बीतता है।

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