असम्भवं हेममृगस्य जन्मः तथापि रामो लुलुभे मृगाय |
प्रायः समापन्न विपत्तिकाले धियोSपि पुंसां मलिना भवन्ति ||
प्रायः देखा गया है कि विपत्ति के समय लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है | इसी कारण राजा रामचन्द्र यह जानते हुए भी कि स्वर्ण मृग का जन्म होना असम्भव है, वे शिकार करने का लालच कर बैठे |
1 टिप्पणियाँ
गद्यांशे अन्तिमा इति पदस्य किं विलोमपदम् अस्ति ?
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