शुभेन कर्मणा सौख्यं दुःखं पापेन कर्मणा।
कृतं भवति सर्वत्र नाकृतं विद्यते क्कचित्।।
-महाभारत स्त्री पर्व
शुभ/अच्छे कर्मों से सुख मिलता है और पाप/बुरे कर्म से दुःख की प्राप्ति होती है. सर्वत्र किये हुए कर्म का फल ही प्राप्त होता है, बिना किसी कर्म किये कुछ साध्य नही होता है ।
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