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यदाचरित कल्याणि.........

यदाचरित कल्याणि ! शुभं वा यदि वाऽशुभम् । 
तदेव लभते भद्रे ! कर्त्ता कर्मजमात्मनः ॥ 
                                       -वाल्मीकि रामायण 

मनुष्य/व्यक्ति जैसा भी कर्म करता है चाहे वो अच्छा या बुरा , 
उसे उसि प्रकार का अच्छा या बुरा फल मिलता है । 
अर्थात कर्त्ता को अपने भले बुरे कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है ।


 

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