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दुर्जनः परिहर्तव्यो...... भर्तृहरि नीति शतक



दुर्जनः परिहर्तव्यो विद्ययालङ्कृतोअपि सन्।

मणिना भूषितः सर्पः किमसौ न भयंकरः ।।

                                                                        -#भर्तृहरि नीति शतक


विद्या से विभूषित होने पर भी दुर्जन त्याग करने योग्य है।
मणि से अलङ्कृत होने पर भी वह सर्प क्या भयंकर नहीं होता है
अर्थात् अवश्य होता है|

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