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आत्मछिद्रं न जानाति......
॥ हस्तामलक स्तोत्रं॥
॥ हस्तामलक स्तोत्रं॥
॥ हस्तामलक स्तोत्रं॥
|| हस्तामलक स्तोत्रं ||
|| हस्तामलक स्तोत्रं ||
॥ हस्तामलक स्तोत्रं॥
॥ हस्तामलक स्तोत्रं॥
|| हस्तामलक स्तोत्रं ||
|| हस्तामलक स्तोत्रं ||
|| हस्तामलक स्तोत्रं ||
|| हस्तामलक स्तोत्रं ||
हस्तामलक स्तोत्रं
हस्तामलक स्तोत्रं
असम्भवं हेममृगस्य जन्मः .....
परोऽपि हितवान् बन्धुः
कश्चित् कस्यचिदेव...
शुचित्वं त्यागिता शौर्यं सामान्यं ...
बहवो गुरवो लोके शिष्य.......
आहारनिद्राभय मैथुन....
अनिष्कषाये काषायमीहार्थमिति ..... | महाभारत
सुखं  वा यदि वा दुःखं प्रियं...... #महाभारत
भैशज्यमेदत्‌ दुखस्य..... #महाभारत
अरक्षिता दुर्विनीतो मानी स्तब्धोsभ्यसूयकः #महाभारत
विषनिषेक इव दुराचारः | #नीतिवाक्यमृत
न पश्यती....... | सुभाषितरत्नाकर
इह लोकेSपि  धनिनां परोSपि ....... | -सुभाषित रत्नाकर
शुभेन कर्मणा..... 
| महाभारत स्त्री पर्व
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव......
यो हि धर्मे परित्यज्य......
काव्य शास्त्र विनोदेन......
पुस्तकं वनिता वित्तं.....
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